या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! पुकारो, या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! तुम भी कर के उन का चर्चा अपने दिल चमकाओ ऊँचे में ऊँचा नबी का झंडा आ'ला से आ'ला नबी का झंडा 'अज़मत वाला नबी का झंडा घर घर में लहराओ पुकारो, या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! पुकारो, या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! या रसूलल्लाह के ना'रे से हम को प्यार है हम ने ये ना'रा लगाया, अपना बेड़ा पार है सरकार की आमद ! मरहबा ! दिलदार की आमद ! मरहबा ! सोहणे की आमद ! मरहबा ! मक्की की आमद ! मरहबा ! मदनी की आमद ! मरहबा ! प्यारे की आमद ! मरहबा ! हुज़ूर की आमद ! मरहबा ! अच्छे की आमद ! मरहबा ! सच्चे की आमद ! मरहबा ! हुज़ूर की आमद ! मरहबा ! पुर-नूर की आमद ! मरहबा ! आक़ा की आमद ! मरहबा ! दाता की आमद ! मरहबा ! सब मिल कर बोलो ! मरहबा ! सब झूम के बोलो ! मरहबा ! या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! पुकारो, या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! ख़ुल्द में होगा हमारा दाख़िला इस शान से या रसूलल्लाह का ना'रा लगाते जाएँगे या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! पुकारो, या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! रब्बी हब ली उम्मती कहते हुए पैद
वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो सोने से कंकर, वो चाँदी सी मिट्टी नज़र में बसाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो पूछा नबी ने कि कुछ घर भी छोड़ा तो सिद्दीक़-ए-अकबर के होंटों पे आया वहाँ माल-ओ-दौलत की क्या है हक़ीक़त जहाँ जाँ लुटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जिहाद-ए-मोहब्बत की आवाज़ गूँजी कहा हन्ज़ला ने ये दुल्हन से अपनी इजाज़त अगर हो तो जाम-ए-शहादत लबों से लगाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है सितारों से ये चाँद कहता है हर-दम तुम्हें क्या बताऊँ वो टुकड़ों का 'आलम इशारे में आक़ा के इतना मज़ा था कि फिर टूट जाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो नन्हा सा असग़र, वो एड़ी रगड़ कर यही कह रहा था वो ख़ैमे में रो कर ऐ बाबा ! मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ मेरा सर कटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो देखा है
वो जिस के लिए महफ़िल-ए-कौनैन सजी है फ़िरदौस-ए-बरीं जिस के वसीले से बनी है वो हाश्मी, मक्की, मदनी-उल-'अरबी है वो मेरा नबी, मेरा नबी, मेरा नबी है अल्लाह का फ़रमाँ, अलम् नश्रह़् लक स़द्रक मंसूब है जिस से, व-रफ़'अना लक ज़िक्रक जिस ज़ात का क़ुरआन में भी ज़िक्र-ए-जली है वो मेरा नबी, मेरा नबी, मेरा नबी है अहमद है, मुहम्मद है, वो ही ख़त्म-ए-रुसूल है मख़दूम-ओ-मुरब्बी है, वो ही वाली-ए-कुल है उस पर ही नज़र सारे ज़माने की लगी है वो मेरा नबी, मेरा नबी, मेरा नबी है व-श्शम्सुद्दुहा चेहरा-ए-अनवर की झलक है वलैल सजा गेसू-ए-हज़रत की लचक है 'आलम को ज़िया जिस के वसीले से मिली है वो मेरा नबी, मेरा नबी, मेरा नबी है मुज़म्मिल-ओ-यासीन व मुदद्स़्स़िर-ओ-त़ाहा क्या क्या नए अल्क़ाब से मौला ने पुकारा क्या शान है उस की, कि जो उम्मी-लक़बी है वो मेरा नबी, मेरा नबी, मेरा नबी है यासीन-ओ-मुज़म्मिल-ओ-मुदद्स़्स़िर और त़ाहा क्या क्या नए अल्क़ाब से मौला ने पुकारा क्या शान है उस की, कि जो उम्मी-लक़बी है वो मेरा नबी, मेरा नबी, मेरा नबी है वो ज़ात कि जो मज़हर-ए-लौलाक-लमा है जो साहिब-ए-रफ़रफ़ शब-ए-मे'राज हुआ है
क्या बताऊँ कि क्या मदीना है बस मेरा मुद्द'आ मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है उठ के जाऊँ कहाँ मदीने से क्या कोई दूसरा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है उस की आँखों का नूर तो देखो जिस का देखा हुवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दिल में अब कोई आरज़ू ही नहीं या मुहम्मद है या मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दुनिया वाले तो दर्द देते हैं ज़ख़्मी दिल की दवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दुनिया वाले तो दर्द देते हैं दर्द-ए-दिल की दवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है मेरे आक़ा ! मुझे बुला लीजे मुझ को भी देखना मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दिल फ़िदा है मदीने वाले पर दिल, मुनव्वर ! मेरा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है ना'त-ख़्वाँ: असद रज़ा अत्तारी हाफ़िज़ ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी ज़ोहैब अशरफ़ी अल्लामा हाफ़िज़ बिलाल क़ादरी अज़मत रज़ा भागलपुरी kya bataau.n ki kya madina hai bas mera mudd'aa madina hai kya bataau.n ki kya madina hai uTh ke jaau.n kaha.n madine se kya koi doosra madina hai kya bataau.n ki kya madina
जश्न-ए-आमद-ए-रसूल, अल्लाह ही अल्लाह ! बीबी आमिना के फूल, अल्लाह ही अल्लाह ! अल्लाह ही अल्लाह ! बोलो ! अल्लाह ही अल्लाह ! अल्लाह ही अल्लाह ! बोलो ! अल्लाह ही अल्लाह ! जश्न-ए-आमद-ए-रसूल, अल्लाह ही अल्लाह ! बीबी आमिना के फूल, अल्लाह ही अल्लाह ! जब कि सरकार तशरीफ़ लाने लगे हूर-ओ-ग़िल्माँ भी ख़ुशियाँ मनाने लगे हर तरफ़ नूर की रौशनी छा गई मुस्तफ़ा क्या मिले ज़िंदगी मिल गई ऐ हलीमा ! तेरी गोद में आ गए दोनों 'आलम के रसूल, अल्लाह ही अल्लाह ! अल्लाह ही अल्लाह ! बोलो ! अल्लाह ही अल्लाह ! अल्लाह ही अल्लाह ! बोलो ! अल्लाह ही अल्लाह ! जश्न-ए-आमद-ए-रसूल, अल्लाह ही अल्लाह ! बीबी आमिना के फूल, अल्लाह ही अल्लाह ! चेहरा-ए-मुस्तफ़ा जब दिखाया गया झुक गए तारे और चाँद शर्मा गया आमिना देख कर मुस्कुराने लगीं हव्वा, मरियम भी ख़ुशियाँ मनाने लगीं आमिना बीबी सब से ये कहने लगीं दु'आ हो गई क़ुबूल, अल्लाह ही अल्लाह ! अल्लाह ही अल्लाह ! बोलो ! अल्लाह ही अल्लाह ! अल्लाह ही अल्लाह ! बोलो ! अल्लाह ही अल्लाह ! जश्न-ए-आमद-ए-रसूल, अल्लाह ही अल्लाह ! बीबी आमिना के फूल, अल्लाह ही अल्लाह ! शादियाने ख़ुश
हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन की तस्वीर सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-'अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबा ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने में मौजूद है हम ने माना कि जन्नत बहुत है हसीं छोड़ कर हम मदीना न जाएँ कहीं यूँ तो जन्नत में सब है मदीना नहीं और जन्नत मदीने में मौजूद है छोड़ना तेरा तयबा गवारा नहीं सारी दुनिया में ऐसा नज़ारा नहीं ऐसा मंज़र ज़माने में देखा नहीं जैसा मंज़र मदीने में मौजूद है ना'त-ख़्वाँ: महमूद जे. हाफ़िज़ कामरान क़ादरी अलीशा कियानी ham ne aankho.n se dekha nahin hai magar un ki tasweer seene me.n maujood hai jis ne laa kar kalaam-e-ilaahi diya wo muhammad madine me.n maujood hai ham ne aankho.n se dekha nahin hai magar un ka jalwa to seene me.n maujood hai jis ne laa kar kalaam-e-ilaahi diya wo muhammad m
या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! सल्ला 'अलैका या रसूलल्लाह ! व सल्लिम 'अलैका या हबीबल्लाह ! अहल-व्व-सहलन मरहबा, या रसूलल्लाह ! चारों-तरफ़ नूर छाया, आक़ा का मीलाद आया ख़ुशियों का पैग़ाम लाया, आक़ा का मीलाद आया अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! शम्स-ओ-क़मर और तारे, क्यूँ न हों ख़ुश आज सारे उन से ही तो नूर पाया, आक़ा का मीलाद आया अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! ख़ुशियाँ मनाते हैं वोही, धूमें मचाते हैं वोही जिन पर हुवा उन का साया, आक़ा का मीलाद आया अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! है शाद हर इक मुसलमाँ, करता है घर घर चराग़ाँ गलियों को भी जगमगाया, आक़ा का मीलाद आया अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! मुख़्तार-ए-कुल माने जो उन्हें, नूरी-बशर जाने जो उन्हें ना'रा उसी ने लगाया, आक़ा का मीलाद आया अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! जो आज महफ़िल में आए, मन की मुरादें वो पाए सब पर करम हो, ख़ुदाया ! आक़ा का मीलाद आया अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! ग़ौस-उल-वरा और दाता ने, मेरे रज़ा और ख़्वाजा ने सब ने ही दिन ये मनाया, आक़ा का मीलाद आया अल्लाह
मुस्त़फ़ा, जान-ए-रह़मत पे लाखों सलाम शम्-ए-बज़्म-ए-हिदायत पे लाखों सलाम मेहर-ए-चर्ख़-ए-नुबुव्वत पे रोशन दुरूद गुल-ए-बाग़-ए-रिसालत पे लाखों सलाम शहर-ए-यार-ए-इरम, ताजदार-ए-ह़रम नौ-बहार-ए-शफ़ाअ़त पे लाखों सलाम शब-ए-असरा के दूल्हा पे दाइम दुरूद नौशा-ए-बज़्म-ए-जन्नत पे लाखों सलाम हम ग़रीबों के आक़ा पे बे-ह़द दुरूद हम फ़क़ीरों की सर्वत पे लाखों सलाम दूर-ओ-नज़दीक के सुनने वाले वो कान कान-ए-ला’ल-ए-करामत पे लाखों सलाम जिस के माथे शफ़ाअ'त का सेहरा रहा उस जबीन-ए-सआ'दत पे लाखों सलाम जिन के सज्दे को मेह़राब-ए-का’बा झुकी उन भवों की लत़ाफ़त पे लाखों सलाम जिस त़रफ़ उठ गई, दम में दम आ गया उस निगाह-ए-इ़नायत पे लाखों सलाम नीची आंखों की शर्म-ओ-ह़या पर दुरूद ऊँची बीनी की रिफ़्अ'त पे लाखों सलाम पतली पतली गुल-ए-क़ुद्स की पत्तियाँ उन लबों की नज़ाकत पे लाखों सलाम वो दहन जिस की हर बात वह़ी-ए-ख़ुदा चश्मा-ए इ़ल्म-ओ-हिकमत पे लाखों सलाम वो ज़बाँ जिस को सब कुन की कुंजी कहें उस की नाफ़िज़ ह़ुकूमत पे लाखों सलाम जिस की तस्कीं से रोते हुए हँस पड़ें उस तबस्सुम की अ़ादत पे लाखों सलाम हाथ जिस सम्त उठ्
ऐ ज़हरा के बाबा ! सुनें इल्तिजा मदीना बुला लीजिए कहीं मर न जाए तुम्हारा गदा मदीना बुला लीजिए सताती है मुझ को, रुलाती है मुझ को ये दुनिया बहुत आज़माती है मुझ को हूँ दुनिया की बातों से टूटा हुआ मदीना बुला लीजिए बड़ी बेकसी है, बड़ी बे-क़रारी न कट जाए, आक़ा ! यूँही 'उम्र सारी कहाँ ज़िंदगानी का कुछ है पता मदीना बुला लीजिए ये एहसास है मुझ को, मैं हूँ कमीना हुज़ूर ! आप चाहें तो आऊँ मदीना गुनाहों के दलदल में मैं हूँ फँसा मदीना बुला लीजिए मैं देखूँ वो रौज़ा, मैं देखूँ वो जाली बुला लीजे मुझ को भी, सरकार-ए-'आली ! कहाँ जाए, आक़ा ! ये मँगता भला मदीना बुला लीजिए वो रमज़ान तेरा, वो दालान तेरा वो अज्वा, वो ज़मज़म, ये मेहमान तेरा तेरे दर पे इफ़्तार का वो मज़ा मदीना बुला लीजिए जहाँ के सभी ज़र्रे शम्स-ओ-क़मर हैं जहाँ पे अबू-बक्र-ओ-'उस्माँ, 'उमर हैं जहाँ जल्वा-फ़रमा हैं हम्ज़ा चचा मदीना बुला लीजिए हुआ है जहाँ से जहाँ ये मुनव्वर जहाँ आए जिब्रील क़ुरआन ले कर मुझे देखना है वो ग़ार-ए-हिरा मदीना बुला लीजिए जिसे सब हैं कहते नक़ी ख़ाँ का बेटा वो अहमद रज़ा है बरेली में लेटा उसी आ'ला
गली गली सज गई, शहर शहर सज गया आए नबी, प्यारे नबी, मेरा भी घर सज गया मरहबा या मुस्तफ़ा ! मरहबा या मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा से प्यार है, दिल से ये इक़रार है हर कोई मीलाद-ए-नबी करने को तय्यार है मरहबा या मुस्तफ़ा ! मरहबा या मुस्तफ़ा ! दुनिया में जहाँ भी रहें, आबाद रहेंगे जो आमिना के लाल का मीलाद करेंगे मीलाद करेंगे ! मीलाद करेंगे ! मीलाद करेंगे ! मीलाद करेंगे ! झंडे लगाओ ! घर को सजाओ ! कर के चराग़ाँ ख़ुशियाँ मनाओ ! सरकार आए ! मरहबा ! दिलदार आए ! मरहबा ! ग़म-ख़्वार आए ! मेरे लज-पाल आए ! मरहबा ! क्या नूर है, ख़ुश्बू है, उजालों का समाँ है सरकार के परचम से सजा सारा जहाँ है चेहरे भी सजे, दिल भी सजे, घर भी सजे हैं जो सज न सका ये तो बता घर वो कहाँ है गली गली सज गई, शहर शहर सज गया आए नबी, प्यारे नबी, मेरा भी घर सज गया मरहबा या मुस्तफ़ा ! मरहबा या मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा से प्यार है, दिल से ये इक़रार है हर कोई मीलाद-ए-नबी करने को तय्यार है मरहबा या मुस्तफ़ा ! मरहबा या मुस्तफ़ा ! दुनिया में जहाँ भी रहें, आबाद रहेंगे जो आमिना के लाल का मीलाद करेंगे मीलाद करेंगे ! मीलाद करेंगे ! मीलाद करेंगे